मुंबई: मंगलवार को कायदे-ए-मिल्लत अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी साहिब किबला के नेतृत्व में आल इंडिया सुन्नी जमीयत उलेमा मुंबई के कार्यालय में उलेमा की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। जिसमे भारत सरकार के 1 जनवरी से 7 जनवरी तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए “सूर्य नमस्कार” (सूर्य पूजा) अनिवार्य कर देने के फैसले की आलोचना की गई।
पवित्र कुरान के पाठ के बाद शुरू हुई इस बैठक में हजरत मौलाना खलील-उर-रहमान साहिब नूरी ने एजेंडा पेश किया। वहीं मुफ्ती मुहम्मद जुबैर बरकती मिस्बाही साहिब ने शरीयत का हवाला देते हुए सरकार के इस कदम को दृढ़ता से खारिज कर दिया और मुसलमानों से से अपने धर्म में बने रहने का आग्रह किया।
वहीं अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी साहिब ने भी इस फैसले का कडा विरोध किया। साथ ही उन्होने मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाने वाले एप से जुड़े सभी लोगों को गिरफ्तार करने की मांग की। नूरी साहब ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी “सूर्य नमस्कार” के आदेश को वापस लिया जाए। जिसमे सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों से 1 जनवरी से 7 जनवरी तक “सूर्य नमस्कार” करने के लिए कहा गया।
नूरी साहब ने कहा कि यह असंवैधानिक है। भारत के संविधान के अनुसार किसी धर्म विशेष की शिक्षा नहीं दी जा सकती। वहीं मुसलमानों भी अल्लाह के सिवा किसी की इबादत नहीं करते। वो तो सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं। यहाँ सूरज की इबादत करने की बात कही जा रही है। यह मुसलमानों के लिए शिर्क है। इसलिए सरकार को इस आदेश को वापस लेना चाहिए।
इसके अलावा मुफ्ती जुबेर साहब ने कहा कि मैं सभी मुसलमानों की ओर से सरकार से एक बात कहना चाहूंगा कि हमारे इस्लाम में जिस चीज की सख्त मनाही है वह शिर्क है और वे इसे किसी तरह मुसलमानों पर लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। मुसलमान इस जुल्म को कभी स्वीकार नहीं कर सकता। इसलिए सभी मुसलमानों को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और सरकार को अपने फरमान को वापस लेना चाहिए। बैठक में मौलाना खलील-उर-रहमान साहिब नूरी, मौलाना मुहम्मद अकील साहिब और मुहम्मद अली साहिब और अन्य विद्वानों और इमामों ने भाग लिया।