सुजाता चौधरी
चलिए मान लेते हैं कि अबोध सुशांत सिंह को मक्कार रिया ने नशे का आदी बना दिया। यह भी मान लेते हैं की रिया सुशांत को अपने पिता से फोन पर बात करने नहीं देती थी ।यह भी मान लेते हैं ,रिया नशा करती थी। यह भी मान लेते हैं कि बीएमसी ने कंगना के ऑफिस के अवैध निर्माण को तोड़कर गलत किया है। यह भी मान लेते हैं कि कँगना रीयल क्वीन है, और बारह कमांडो के साथ जब चलती है तो शेरनी लगती है। सारी बातें मान लेते हैं। लेकिन क्या यह सारी बातें इतनी महत्वपूर्ण हैं कि फेसबुक पर से लेकर पूरा समाज दो भागों में बंट जाए ? ऐसा ही हुआ है,एक क्वीन और उसके कमांडो के साथ खड़ा है दूसरा रिया के साथ खड़ा है। क्या यह घटना इतनी बड़ी है कि आधे बुद्धिजीवी रिया के साथ हूं और आधे कंगना के साथ हूं का तख्ती लगाकर खड़े हो जाएं?
समाज दो भागों में बंट कर इस खेल का हिस्सा बन जाए, इसमें किसका हित है ? बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें जो जनता को जाननी चाहिए थी, वह कंगना और रिया की कृपा से नहीं जान पाई। कंगना को भी लाभ है कि बारह कमांडो के साथ जब वह चलेगी तो सचमुच की क्वीन लगेगी । रिया भी सत्ता पक्ष के साथ खड़ी हो सकती है और कमांडो सुविधा प्राप्त कर सकती है। लेकिन इन बातों से हमें क्या मिलने वाला है?
हमारे देश में प्रलय आया हुआ है, हम सारे लोग एक नाव पर सवार हैं और नाव डगमग डगमग कर रही है। लेकिन इस की बात कोई नहीं करता ।करोड़ों बेरोजगार हो गए हैं ।प्रतिदिन लगभग एक लाख लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, छिहत्तर हजार लोग कोरोना के भेंट चढ़ चुके है ।कितने होनहार युवक युवतियां निराश होकर आत्महत्या कर रहे हैं।जीडीपी पाताल में चला गया है। महीनों से चीन हमारी सरहद पर घुसपैठ कर रहा है, हमारी सेना शहीद हो रही है । सैंकड़ों डॉक्टर कोरोना को भेंट चढ़ गए । मुजफ्फरपुर में एक मासूम के साथ गैंगरेप कर चाकुओं से गोंद कर हत्या कर दी जाती है,प्रतिदिन सैंकड़ों लड़कियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं लेकिन करणी सेना का कभी खून नहीं खौलता है। लेकिन बारह कमांडो प्राप्त एक युवती को साथ देने हजारों गाड़ियों का काफिला लेकर वे राजस्थान से चल देते हैं ,क्यों? क्योंकि उनके राजनीतिज्ञ आकाओं का यही इशारा है। परंतु इन बातों से किसे मतलब?
ब्लूव्हेल एक खेल है, उस खेल में लोगों को इस तरह फंसाया जाता है कि वे अपनी जान तक दे देते हैं ।हम भारतीयों को भी सुशांत सिंह ,रिया और कंगना के खेल में फंसा कर अफीमची बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि असली समस्या से दूर रहें। कंगना हो या रिया दोनों को मोहरा बनाया जा रहा है केंद्र की सरकार हो या राज्य की, दोनों नाकाम रही है । जनता के प्रश्नों से बचने के लिए दोनों, इन दो महिलाओं पीछे छुप गई है ताकि उनसे कोई सवाल ना कर सके। उनसे कोई यह न पूछ सके कि जीडीपी इतनी नीचे क्यों चली गई , इतने कड़े लॉकडाउन के बाद हमारे यहां कोरोना इतना कहर क्यों मचा रहा है? बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए सरकार क्या सोच रही है? यहां तक कि पाकिस्तान जिसके बारे में हमारे देश की मीडिया कहती थी कोरोना की मौत मरेगा पाकिस्तान ,उसने भी अपने देश मे बहुत कम लॉकडाउन करके कोरोना को कैसे कंट्रोल कर लिया है ?
इन सारे सवालों से बचने के लिए केंद्र और राज्य की सरकार मीडिया के साथ मिलकर खेल खेल रही है और हम लोग उसके मोहरे बनते जा रहे हैं तभी तो आसपास मरने वाले के लिए असंवेदनशील हो गए हैं और एक नशेड़ी की आत्महत्या करने पर उद्देलित हो रहे हैं। कंगना हो या रिया दोषी है या निर्दोष, क्या यह देश की विकटतम समस्या है? ग़रीबों के लाखों बच्चे छह महीने से कॉपी और पेंसिल नहीं पकड़ पाए हैं, यह गम्भीर समस्या है ,और यह बात हमारे देश को गर्त में ले जा सकती है, लेकिन उस पर कोई उद्वेलित नहीं हो रहा।
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