मुहम्मद आजमः अवार्ड की रकम से छात्रों में बांट दी किताबें

एक वैचारिक सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता मुहम्मद आजम ने अपनी पुरस्कार राशि का उपयोग छात्राओं के बीच हजारों रुपये की पुस्तकों को वितरित करने के लिए किया.

मुहम्मद आजम एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनका जीवन निरंतर संघर्षपूर्ण रहा है. उन्हें हमेशा गरीब छात्रों की चिंता सताती रहती है. वे शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए जोरदार अभियान चला रहे हैं.

मुहम्मद आजम ने छात्रों के बीच देशभक्ति, रुचि और शिक्षा की खोज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सुधारित राष्ट्र और महान व्यक्तित्वों के जीवन पर आधारित पुस्तकों के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में व्याकरण की पुस्तकों का वितरण किया है.

मुहम्मद आजम की सामाजिक सेवाओं के लिए ख्याति है. उनका जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. उन्होंने पेट की आग बुझाने और शिक्षा प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की. दीवारों पर पोस्टर लगाए. वेटर तक का काम किया. आज वह एक सहायक प्रोफेसर हैं और राष्ट्रपति राष्ट्रीय युवा पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं.

आवाज-द वॉयस में मुहम्मद आजम के निरंतर जीवन और शैक्षिक यात्रा के बारे में विस्तृत कहानियाँ प्रस्तुत की गईं हैं. उस समय, उन्होंने कहा था कि वह छात्रों के शैक्षिक विकास पर राष्ट्रीय युवा पुरस्कार राशि का एक हिस्सा खर्च करेंगे. इसी कड़ी के पहले चरण में आज हजारों रुपये मूल्य की आर्थिक पुस्तकों का वितरण किया गया.

पुस्तकों का वितरण

मुहम्मद आजम ने राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) सप्तगरी कॉलोनी, करीमनगर में एक समारोह का आयोजन किया. इस अवसर पर छात्रों के बीच देशभक्ति, व्यक्तित्व निर्माण, करियर और अंग्रेजी व्याकरण पर पुस्तकों का वितरण किया गया. मोहम्मद आजम ने कहा कि अगस्त में नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में, उन्हें उत्कृष्ट सामाजिक सेवाओं के लिए भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस पुरस्कार में एक प्रमाण पत्र, पदक और 100,000रुपये शामिल थे. साथ ही उन्होंने तय किया था कि पुरस्कार राशि का एक हिस्सा गरीब छात्रों के शैक्षिक विकास के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और आज पहले चरण में पुस्तकों का वितरण किया गया है.

रुचिपूर्ण अध्ययन जरूरी

मोहम्मद आजम ने कहा कि व्यक्तित्व और करियर निर्माण के लिए छात्रों में पढ़ने का टेस्ट विकसित करना बेहद जरूरी है. इसीलिए छात्रों के बीच महान नेताओं, प्रतिष्ठित व्यक्तियों और सुधारकों के जीवन पर आधारित पुस्तकों का वितरण लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि छात्रों को किताबें और अखबार पढ़ने की आदत डालनी चाहिए और प्रतिस्पर्धा की जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि छात्रों को महान नेताओं के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि महापुरुषों की बातों और किताबों को पढ़ने से न केवल आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, बल्कि आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ-साथ दृढ़ संकल्प भी पैदा होता है.

अंग्रेजी में प्रवीणता समय की आवश्यकता

मुहम्मद आजम ने कहा कि ग्रामीण छात्रों को अंग्रेजी भाषा में दक्ष होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा में दक्षता की कमी के कारण छात्रों को नौकरी पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए छात्रों के शैक्षिक विकास, नैतिक प्रशिक्षण और अंग्रेजी भाषा में दक्षता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि छात्रों के व्यक्तित्व और करियर निर्माण और सार्वभौमिक विकास के उद्देश्य से किताबें हैं. ‘अंग्रेजी सफलता के लिए’, ‘अंग्रेजी संचार कौशल’, ‘अपने भारत को जानो’, ‘सकारात्मक सोच की कला’ और ‘विवेकानंद कॉल्स’ आदि किताबों का वितरण किया गया है. मुहम्मद आजम ने कहा कि छात्रों में बचपन से ही देशभक्ति की भावना जगाने की जरूरत है, ताकि वे बड़े होकर देश के सर्वश्रेष्ठ नागरिक बन सकें.

सराहनीय कदम

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की अध्यक्ष सुश्री लता ने मुहम्मद आजम की सराहनीय पहल की सराहना की और कहा कि मुहम्मद आजम की सामाजिक सेवाएं अनुकरणीय और अनुकरण के योग्य हैं. उन्होंने कहा कि मुहम्मद आजम व्यापक दिमाग के साथ-साथ व्यापक दिमाग वाले भी हैं. इसलिए वह अपनी पुरस्कार राशि से गरीब छात्रों की मदद कर रहे हैं.

छात्र बहुत खुश थे

मुहम्मद आजम द्वारा पुस्तकों के वितरण पर छात्र बहुत खुश थे. छात्र रचना, रक्षिता, रम्या, गीतांजलि, श्रुति आदि ने पुस्तकों के वितरण के लिए मुहम्मद आजम को धन्यवाद दिया और वादा किया कि वह निश्चित रूप से इन पुस्तकों को पढ़ेंगे और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत करेंगे.

आवाज-द वॉयस से बात करते हुए, मोहम्मद आजम ने कहा कि उनका बचपन गरीबी में बीता और वह गरीबों की दुर्दशा से अच्छी तरह वाकिफ थे. उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसा हथियार है, जिसके बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती. मुहम्मद आजम ने कहा कि जब उन्हें मदद की जरूरत पड़ी, तो शुभचिंतकों ने उनकी मदद की. अब वे शुभचिंतकों को पैसा नहीं लौटा सकते. लेकिन जब आज वे जरूरतमंदों की मदद करने में सक्षम हैं, उन्हें मन की शांति मिल रही है और साथ ही गरीबों की मदद करके उनका बकाया भुगतान कर रहे हैं.

गरीब होना बुरी बात नहीं

मुहम्मद आजम ने कहा कि गरीब होना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन गरीबी का रोना एक गंभीर बुराई है. हमें गरीबी और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अवसरों का लाभ उठाना चाहिए. विकास और सफलता तभी हमारी नियति होगी, जब हम शिक्षा से सुशोभित होंगे.

साभार: आवाज़ दी वॉइस

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