माहे रमज़ान महीनों का सरदार

कैसरगंज बहराइच

माहे रमज़ान इस्लामी बारह महीनों में सबसे अफजल है।इस महीने में रब की ख़ास रहमतों का नुजूल होता है। इस महीने को तमाम महीनों का सरदार कहा जाता है। इस महीने के आते ही जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं। जैसा कि हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया: जब रमज़ान का महीना आता है तो जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और शैतानों को कैद कर दिया जाता है।

इस महीने में रब का इतना इनाम होता है कि बंदा गुमान भी नही कर सकता अल्लाह इस महीने में रोजेदारों के चेहरे नूरानी कर देता है। उनपर रहमतों कि बारिश अता फरमाता है। हर नेकी का 10 से 70 गुना सवाब अधिक कर दिया जाता है। यह नेकियों के बहार का महीना है। हर आदमी को इसमें अधिक से अधिक पुन्य कार्य करने चाहिए ताकि वह अपने रब को राज़ी करके जन्नत का परवाना इस माहे मुबारक में अपने नाम कर ले।

हदीस में आया है कि रोज़ा रखना, सेहरी खाना, तरावीह और पाँच वक्त की नमाज़ पढ़ना, सब्र करना, गुनाहों और बुराइयों से बचना, यह सब खैर व बरकत और रब की बारगाह में महबूब बनने के ज़रिए हैं। इस महीने में कई गुनाहगार जहन्नम से बच जाते हैं और अच्छे कर्म करने वालों को ढेरों इनाम मिलते हैं। रमजान के महीने में तीन लोगों की दुआएं रद नहीं होती हैं। एक रोजेदार की दुआ इफ़्तार के वक्त, दूसरा इंसाफ़ करने वाले बादशाह की दुआ, तीसरे मजलूम की दुआ।

यह एक ऐसा मुबारक महीना है जिसमें दिन और रात दोनों ही फजीलत वाले हैं। इस महीने में हमें अधिक से अधिक पुन्य कार्य करने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। अल्लाह तआला हमें इस महीने में ख़ूब नेकी करने की तौफीक दे।

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