दरगाह बंदा नवाज गेसू दराज में लगे या रसूलुल्लाह के नारे

गुलबर्गा / 27 फरवरी: देश में पिछले कुछ वर्षों से योजनाबद्ध तरीके से नफरत के बीज बोए जा रहे हैं, सोशल मीडिया और इंटरनेट पर पैगंबर ए इस्लाम पर अपमानजनक टिप्पणी बढ़ रही है। धार्मिक नेताओं का सार्वजनिक रूप से अपमान किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं गंभीर रूप से आहत हो रही हैं, देश में अशांति फैल रही है और विभिन्न समाजों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। इसे रोकने का एकमात्र तरीका “पैगंबर मुहम्मद के विधेयक” को वैध बनाना और इसे लागू करना है। ये शब्द प्रेम की नगरी गुलबर्गा शरीफ में रजा अकादमी के संस्थापक अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने कहे।

मौलाना अब्बास रिजवी ने कहा कि इस तरह के अपमानजनक मामलों को रोकने के लिए रजा एकेडमी ने महाराष्ट्र विधानसभा में “पैगंबर मुहम्मद बिल” को पेश करके उसे वैध बनाने की मांग की है। रजा एकेडमी की मांग है कि तहफ्फुज ए नामूस ए रिसालत बोर्ड द्वारा तैयार किए गए विधेयक को देश की सभी राज्य विधानसभाओं में पेश किया जाए। ताकि पवित्र धार्मिक शख्सियतों का अपमान करने वालों को रोका जा सके।

इस अवसर पर रज़ा जामिया मस्जिद में आयोजित उलेमा और बड़ों की भीड़ भरी सभा में तहफ्फुज ए नामूस ए रिसालत बोर्ड की गुलबर्गा शाखा का गठन किया गया। इस अवसर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें गुलबर्गा और आसपास के दर्जनों प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रतिनिधियों ने कर्नाटक के मुसलमानों से बड़ी संख्या में मांग पत्र भरने और जमा करने की अपील की।

इस अवसर पर कर्नाटक सरकार से सबसे पहली मांग कर्नाटक विधानसभा में “पैगंबर मुहम्मद बिल” को पारित करने और इस्लाम के पैगंबर सहित किसी भी पवित्र धार्मिक व्यक्ति का अपमान करने के लिए गैर-जमानती अपराध बनाने की गई।  इसी तरह गुलबर्गा के आसपास के क्षेत्र में सूफी संत मखदूम अलादीन लाडली मशाइख (अलंद शरीफ) के परिसरों में संप्रदायवादियों द्वारा की जा रही शरारतों को रोकने के लिए गुलबर्गा पुलिस और प्रशासन को भी कहा गया।

इससे पहले रजा एकेडमी गुलबर्गा के सदस्यों ने इस मुद्दे पर बेंगलुरू में राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष से मुलाकात की थी और तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर कर्नाटक वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शफी सादी ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया था। इस मौके पर मौलाना अब्दुल वकील कादरी, कारी अब्दुल कुदूस काजमी, अब्दुल खलील अजहरी, मौलाना अब्दुल हफीज कादरी बरकती, मौलाना तौसीफ रजा मिस्बाही, मौलाना अब्दुल रज्जाक मिस्बाही, मौलाना असदुल्ला रशीदी, मौलाना मसाहिब मौलाना यूनिस मिस्बाही, मौलाना शब्बीर, सैयद शब्बीर, मौलाना शब्बीर सुफियान कादरी, सिराज अहमद कादरी, जाफर रिज़वी, रईस रिज़वी, क़ियामुद्दीन रिज़वी, हुसामुद्दीन रिज़वी, हामिद रिज़वी और सैकड़ों अन्य उपस्थित रहे।

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