ईमान सकीना
अच्छे चरित्र का होना और अच्छे कर्म करना इस्लाम धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है, जो हर मुसलमान को सर्वशक्तिमान अल्लाह को प्रसन्न करने के लिए करना चाहिए. अल्लाह पवित्र कुरान में नेक कामों के बारे में कहता है, ‘‘जो कोई भी धार्मिकता का काम करता है चाहे वह पुरुष हो या महिला और वह एक सच्चा आस्तिक (इस्लामी एकेश्वरवाद का) है. वास्तव में, हम उसे एक अच्छा जीवन देंगे (इस दुनिया में सम्मान, संतोष के साथ वैध प्रावधान) और हम उन्हें निश्चित रूप से उनके अच्छे कर्मों के अनुपात में इनाम देंगे (यानी इसके बाद स्वर्ग में)’’ (कुरान, 16ः97)
उपरोक्त आयत के अनुसार, यदि हम सर्वशक्तिमान अल्लाह के लिए अच्छे कर्म करते हैं, तो हमें स्वर्ग से पुरस्कृत किया जाएगा. इसलिए, अच्छे कर्म करना वास्तव में किसी के जीवन को बेहतर बनाने का प्रतिनिधित्व करता है और मुसलमानों को अल्लाह के करीब आने की उनकी खोज में सहायता करता है.
इस्लाम समाज का धर्म है, जैसे, इसके अनुयायियों को एक समुदाय बनाने की आवश्यकता होती है, जिसमें हर कोई एक दूसरे का समर्थन और देखभाल करने के लिए काम करता है और जहां हर कोई अल्लाह सर्वशक्तिमान की महिमा के लिए अच्छे काम करता है. इस्लाम ने लोगों को अपने जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें बेहतर तरीके से जीने में सक्षम बनाने के लक्ष्य के साथ निर्देश प्रदान किए हैं.
कर्म करना और अच्छे भाव से कर्म करना अलग-अलग बातें हैं. यह नीयत कि इस काम को करने से मुसलमान को नेकियां मिलेंगी और इस दुनिया में अल्लाह की रहमत हासिल करने में मदद मिलेगी और फिर यह यकीनन एक बुनियाद है कि अल्लाह इस अमल को कुबूल करेगा और उसी के मुताबिक अज्र देगा. पवित्र पैगंबर (उन पर शांति हो) ने एक तरह से अच्छे कर्मों के इरादे के बारे में कहा, ‘‘कर्मों का इनाम इरादों पर निर्भर करता है और हर व्यक्ति को उसके अनुसार इनाम मिलेगा.’’ (साहिब बुखारी)
निम्नलिखित प्रकार के अच्छे कर्म हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन कर सकता हैः
मस्जिद में जमात में नमाज करनाः मस्जिद में दिन में पांच बार नमाज करने के बारे में हमारे प्यारे पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा, ‘‘जो कोई भी सुबह और शाम मस्जिद में जाता है, अल्लाह हर बार उसके लिए जन्नत में एक सम्मानजनक जगह तैयार करेगा.’’ (बुखारी). मस्जिद में नमाज अदा करने का बड़ा सवाब है जो आखिरत में जन्नत है, जिसकी हर मुसलमान कामना करता है.
हर दिन क्षमा मांगेंः पवित्र कुरान में अल्लाह कहता है, ‘‘और अल्लाह गलत काम करने वाले लोगों का मार्गदर्शन नहीं करता है.’’ (कुरान 3ः86). इस आयत का निष्कर्ष यह है कि यदि कोई व्यक्ति गलती करता है और उस पर कायम रहता है, तो अल्लाह न तो उसे माफ करेगा और न ही उसके अच्छे कामों को स्वीकार करेगा. अच्छे कर्मों की स्वीकृति के लिए हमें हर दिन और हर समय क्षमा मांगनी चाहिए.
जनाजे की नमाज अदा करेंः पैगंबर मुहम्मद ने जनाजे की नमाज में शामिल होने के बारे में कहा, ‘‘जो कोई भी जनाजे ें शामिल होता है, जब तक कि वह जनाजे की नमाज अदा नहीं करता है, उसके पास एक कीरात (इनाम की) होगी और जो कोई भी दफन होने तक शामिल होता है, उसके पास दो किरात होंगे.
टालमटोल से बचेंः किसी भी अच्छे काम में देरी करने से बचें, यानी अगर कोई अच्छा काम और विचार आपके दिमाग में आए, तो उसे तुरंत कर लें. इसमें देरी न करें क्योंकि जब भी कोई ऐसी चीज होती है जो भलाई की ओर ले जाती है.
कुरान पाठः जो कोई भी प्रतिदिन कुरान का पाठ करता है, वह निश्चित रूप से सर्वशक्तिमान अल्लाह से एक बड़ा इनाम अर्जित करेगा. पैगंबर ने हदीस में कहा है, ‘‘जो कोई भी अल्लाह की किताब का एक पन्ना पढ़ता है, उसे एक अच्छे काम के लिए श्रेय दिया जाता है और एक अच्छे काम को दस गुना इनाम मिलता है.
अल्लाह के शुक्रगुजार रहेंः इंसान की पैदाइश का मकसद अल्लाह की इबादत करना और उसके लिए शुक्रगुजार होना है जो उसने हम पर शुरू किया है.
साभार: आवाज द वॉइस